अंधेरे में छाया, बुढ़ापे में काया, अंत समय में साथ नहीं देती माया- मुनिश्री निकलंक सागर महाराज 

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भोपाल।  आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि श्री प्रसाद सागर महाराज, मुनि श्री शैल सागर महाराज, मुनि श्री निकलंक सागर महाराज के सानिध्य में श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर चौक में भक्ति भाव से श्रद्धालुओं ने मूलनायक भगवान आदिनाथ का अभिषेक कर मंत्रोच्चारित शांति धारा की। भगवान जिनेन्द्र के अनन्त गुणों की वंदना की। धर्म सभा में आशीष वचन में मुनि श्री निकलंक सागर महाराज ने सकारात्मकता के साथ जीवन जीने की कला बताते हुए कहा हमेशा सकारात्मक दृष्टि रखते हुए जीवन पथ पर चलोगे तो हमेशा खुश रहोगे। ”खुश होकर गुजरोगे तो मस्त है जिन्दगी, दुखी होकर गुजरोगे तो पस्त है जिन्दगी………..मुनि श्री ने कहा कि हमें सदैव सकारात्मक सोच के साथ पुरूषार्थ करते रहना चाहिए जिससे हमारा जीवन सार्थक हो जाये। क्योंकि जीवन पानी की बूंद के समान है। अंधेरे में छाया, बुढ़ापे में काया, अंत समय में साथ नहीं देती माया, यह संसार का सबसे बढ़ा सत्य है। जो सत्य पर जीता है उसे ही पूजा जाता है। संसार में जितने भी महापुरूष हुए है उन्होंने विषम से विषम परिस्थिति में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा। मोक्ष मार्ग निर्माण का नहीं निर्वाण का मार्ग है। भवनों से निर्वाण नहीं होता भावनाओं से निर्वाण होता है। भावनाएं भव नाशिनी होती है। धर्म के पालने में हम सभी पल रहे है आत्मा का स्वभाव ही धर्म नहीं सहज सरल भावों के साथ की गई क्रियाएं ही सच्चा धर्म  है। जिस तरह अग्नि का स्वभाग उष्ण है, जल का स्वभाव शीतल है उसी प्रकार धर्म का स्वभाव सहज, सरल परिणाम है। दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी अंशुल जैन ने बताया धर्म सभा का शुभारंभ पर पाठशाला के बच्चों द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की पूजन की गई। पाठशाला के बच्चों ने संगीतमय भक्ताम्बर का वाचन भी किया। इस अवसर पर दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने अनेक शहरों से पधारे श्रावकों का सम्मान किया।