नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और बंगाल क्रिेकेट एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष सौरभ गांगुली (Sourav Ganguly) भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI ) के अध्यक्ष पद का कार्यभार बुधवार को संभाल लेंगे. वे बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष होंगे. गांगुली इस पद के लिए आवेदन करने वाले अकेले उम्मीदवार थे. 14 अक्टूबर को नामांकन भरने की अंतिम तारीख से पहले गांगुली के नाम पर भारत के क्रिकेट संघों के बीच सहमति बनी थी.
दूसरे ऐसे बीसीसीआई अध्यक्ष हैं गांगुली
गांगुली टीम इंडिया की कप्तानी करने के बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाने वाले दूसरे खिलाड़ी होंगे. इससे पहले 1954-1957 विजयानगरम के महाराजा इस पद पर रहे थे जो कि उससे पहले टीम इंडिया के कप्तान रह चुके थे. वहीं गुजरात क्रिकेट संघ के पूर्व संयुक्त सचिव जय शाह बोर्ड के नए सचिव होंगे. जय, गृहमंत्री अमित शाह के पुत्र हैं. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धूमल का कोषाध्यक्ष बनना भी तय है. अरुण धूमल हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं.
सीओए का अस्तित्व होगा समाप्त
करीब 33 महीने पुरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्राशसकों की समिति (CoA) के पास बुधवार तक ही बीसीसीआई के नए संविधान के तहत चुनाव कराने की जिम्मेदारी थी. अब बीसीसीआई की टीम गांगुली के पद संभालते ही काम करने शुरू कर देगी जिसके साथ ही सीओए औपचारिक रूप से खत्म हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रशासकों की समिति (सीओए) से कहा कि जैसे ही बीसीसीआई के नए अधिकारी अपना कार्यभार सम्भाल लेंगे, वह अपना काम बंद कर दे.
क्या होगी प्राथमिकता
गांगुली ने अपने अध्यक्ष चुने जाने को निश्चित होने के बाद से ही अपने प्राथमिकताएं तय कर दी है. उनका कहना है कि वे कुछ ही महीनों में बीसीसीआई में सब ठीक करने पर ध्यान देंगे. गांगुली इस जिम्मेदारी को एक चुनौतीपुर्ण काम मानते हैं. उनकी पहली प्राथमिकता फर्स्ट क्लास क्रिकेटर्स को ध्यान रखना होगी. क्रिकेटरों के वित्तीय हितों के लिए रणजी ट्रॉफी क्रिकेट पर उनका फोकस होगा.
एक साल से कम समय तक ही पद पर रहेंगे
गांगुली केवल जुलाई 2020 तक ही इस पद पर रह सकेंगे क्योंकि इसके बाद उन्हें नए नियमों के मुताबिक कूलिंग ऑफ पीयरेड के तहत यह पद छोड़ना होगा. नए बीसीसीआई नियमों के मुताबिक एक प्रशासकीय पद पर कोई व्यक्ति लगातार छह साल तक ही रह सकता है. वे अभी तक बंगाल क्रिेकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे और इस पर पिछले पांच साल से बने हुए थे. इसी पद पर उनकी दोबारा नियुक्ति भी हुई थी.