अप्रत्यक्ष प्रणाली से निकाय चुनाव के फैसले को BJP ने बताया हार का डर, कोर्ट में जाएगा मामला

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रायपुर. छत्तीसगढ़ में अप्रत्यक्ष प्रणाली से नगरीय निकाय (Urban Body Election) के चुनाव कराने के फैसले को बीजेपी कांग्रेस का डर बता रही है. बता दें कि, आने वाले दिनों में मेयर चुनाव में जनता की सीधी भागीदारी खत्म होने जा रही है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की तर्ज पर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों में से ही किया जाएगा. इसे लेकर बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी है. लेकिन बीजेपी (BJP) ने इसे अलोकतांत्रिक बताते हुए कांग्रेस को हार के डर की वजह से लिया गया फैसला बता रही है.

बीजेपी का आरोप

नगरीय निकाय में अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव कराने के मामले में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. अब इंतजार सरकार द्वारा औपचारिक घोषणा का है. सरकार के इस फैसले पर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही अपनी हार मान ली है. सीएम भूपेश बघेल पहले सीधे चुनाव की बात करते थे. लेकिन अब उनके अंदर भय इतना आ गया है कि वे चुनाव पार्षदों के माध्यम से कराने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनता से महापौर और अध्यक्ष चुनने का हक छीना जा रहा है. इससे ये साफ है कि कांग्रेस डरी हुई है. अह हम कोर्ट जाएंगे और इस फैसले को चुनौती देंगे.

कांग्रेस की तैयारी

इधर  राज्य सरकार कोर्ट में कैविएट लगाने की तैयारी कर रही है. सरकार को इस बात की चिंता है कि कहीं, बीजेपी अप्रत्यक्ष चुनाव के खिलाफ याचिका न लगा दे, जिससे सरकार का फैसला प्रभावित हो. हांलाकि अप्रत्यक्ष प्रणाली को लेकर कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी की दलील है कि ये बदलाव कोई नया नहीं है. यहां बीजेपी मजबूत विपक्ष बनने के बजाय कोर्ट के चक्कर काट रही है.

हो सकता है बड़ा मौका

वहीं राजनीतिक विश्लेषक बाबूलाल शर्मा का मानना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव बीजेपी के पास बड़ा मौका है, जिसमें वो अपने महापौर बनाकर फिर एक बार साबित कर सकती है कि प्रदेश में अब भी उनका बड़ा जनाधार और पकड़ बाकी है. इसे लेकर बीजेपी काफी समय से तैयार कर भी रही है, लेकिन चुनाव प्रणाली में बदलाव ने बीजेपी की रणनीति बिगाड़ दी है और इसलिए इसका विरोध हो रहा है.