आजकल धुंध और प्रदूषण जिसे स्मॉग कहा जाता है वह शहरों में बढ़ता जा रहा है। यह बड़ों के साथ ही बच्चों को भी सांस की बीमारियों का शिकार बना रहा है। स्मोग तो समय के साथ कम हो गया पर प्रदूषण है कि नियंत्रित ही नहीं हो रहा। इसके कारण होने वाली बीमारियों में से एक है केमिकल न्यूमोनिया।
केमिकल न्यूमोनिया प्रदूषण से होने वाली बीमारी है। प्रदूषण की धुंध की वजह से लोगों में केमिकल न्यूमोनिटिक्स या केमिकल निमोनिया की समस्या सामने आ रही है। स्मॉग के कारण बच्चों में फेफड़े के रोग, सांस की बीमारी, गले और नाक का प्रदूषण आदि बीमारियां हो रही हैं।
कैसे फैलता है यह
केमिकल न्यूमोनिटिक्स केमिकल निमोनिया के नाम से भी जाना जाता है। इसका मतलब होता है कि दूषित हवा का सांस द्वारा फेफड़ों में पहुंचना। इस वजह से होने वाले न्यूमोनिया को केमिकल न्यूमोनिया कहा जाता है।
पहली बार सामने आये मामले
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कई वर्षों में ये पहली बार है कि केमिकल न्यूमोनिटिक्स के मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय वायु प्रदूषण पर कई स्तरों पर निपटने की कोशिश कर रहा है।
डॉक्टर्स का कहना है स्मॉग में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड मैगनीज डाइऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड और नाइट्रेट्स मौजूद होते हैं। जो फेफड़ों में जलन पैदा करके न्यूमोनिटिक्स का कारण बनते हैं। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इससे सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यहां तक कि फेफड़ों का कैंसर हो सकता है और पीड़ित की मौत भी हो सकती है।