बीजापुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के घोर नक्सल (Naxal) प्रभावित जिलों में भ्रष्टाचार व लापरवाही कितनी हावी है, इसका ताजा नमूना बीजापुर (Bijapur) जिले में देखने को मिला है. बीजापुर में नक्सलियों का रेड कॉरिडोर कहे जाने वाले पामेड़ (Pamed) में आजादी के 70 साल बाद सड़क बनाई गई. 1200 जवानों की सुरक्षा के बीच 9 करोड़ 60 लाख रुपये की लागत से बनाई गई 12 किलोमीटर की पक्की सड़क (Road) पर निर्माण के 12 महीनों में ही 712 बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. नक्सलगढ़ में शहादत पर भारी भ्रष्टाचार सीरिज के पहले भाग में हम इसी सड़क की हकीकत बता रहे हैं.
नक्सल (Naxal) प्रभावित इलाकों में भ्रष्टाचार (Corruption) की पराकाष्टा देखनी हो तो बीजापुर (Bijapur) इसका ताजा उदाहरण है. यहां जवानों की शहादत पर भी भ्रष्टाचार भारी है. दरअसल इंटर स्टेट काॅरिडोर पर बसे पामेड़ को आजादी के सात दशक बाद सड़क मार्ग से जोड़ने की कवायद एक साल पहले शुरू हुई थी. अब निर्माण के चंद महीनों बाद ही करोड़ों रुपयों से बनी पक्की सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है.
तेलंगाना के चेरला सीमा पर बसे बीजापुर के पामेड़ में सिर्फ 12 किलोमीटर की सड़क निर्माण कार्य की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ, एसटीएफ और जिला बल के 1200 जवानों को तैनात किया गया था. इस सड़क निर्माण के दौरान 6 बार नक्सलियों ने हमला किया. 11 फरवररी 2018 को सडक सुरक्षा के दौरान सहायक आरक्षक सोनधर हेमला का पैर नक्सलियों के लगाए प्रेशर आईईडी में पड़ा, जिससे जवान की मौके पर ही मौत हो गयी. इससे पहले 3 फरवरी 2018 को नक्सली हमले में प्रधान आरक्षक अरविंद कुमार घायल हो गए थे. इसके बाद मार्च 2018 में हुए नक्सली हमले में 2 जवान बुरी तरह जख्मी हो गए थे. इस इलाके में नक्सलियों की पैठ का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता था कि यदि सुरक्षा में लगे जवानों को इलाके से दूर जाना हो तो हेलीकॉप्टर ही एक मात्र सहारा था. क्योंकि जमीन मार्ग पर नक्सलियों के हमले का खतरा हर वक्त था.सड़क निर्माण से पहले तेलंगाना के चेरला के कालीवेरू और चेलमेला के साथ तिप्पापुरम, तोंगगुडा, सहित पामेड में सीआरपीएफ, सीएएफ, कोबरा, डीआरजी और जिला बल के करीब 1200 सशस्त्र जवानों को तैनात किया गया. मतलब साफ है कि 12 किलोमीटर की सडक के लिए 1 थाने के साथ ही 5 बेस कैम्प स्थापित किये गये. अनुपात निकालें तो 10 मीटर के सड़क निर्माण में लगे कर्मचारी और मषीनरी की सुरक्षा के लिए यहां 1 जवान की तैनाती की गई थी. 10 मार्च 2018 को प्रेशर आईईडी की ही चपेट में आकर दो जवान जख्मी हुए, जिसमें आरक्षक सूरज मंडावी का दायां पैर शरीर से हमेशा के लिए अलग हो गया तो वहीं दूसरा जवान आरक्षक दुरपत सिंह ठाकुर बुरी तरह घायल हुआ. इतनी कुर्बानियों के बाद भी जवानों के हौसले पस्त नहीं हुए. वो सड़क निर्माण की सुरक्षा में डटे रहे.इस 12 किलोमीटर सड़क निर्माण का ठेका बीजापुर के जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जयकुमार नायर की कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था. सडक निर्माण के चंद महीनों बाद ही सड़क में जगह जगह गड्ढे होने लगे हैं. न्यूज 18 की टीम ने 12 किलोमीटर की सड़क पर बने एक एक गडढे की गिनती की तो जो आंकड़ा निकलकर सामने आया वो बेहद चैंकाने वाला था. 12 किलोमीटर की इस सड़क पर 100-200 नहीं बल्कि पूरे 712 गड्ढे हो चुके हैं. इतना ही नहीं बल्कि बरसाती नाले पर बनाया गया एक पुल तक बह गया, जिसे बाद में ग्रामीणों और जवानो ने पत्थरों से भरकर आवागमन दुरूस्त किया.अब इस इलाके के ग्रामीण भी सड़क निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही और किये गये भ्रष्टाचार से काफी आहत हैं. ग्रामीण सुमन कोत्तुल, भास्कर वंकैया व कोत्तुल श्रीनिवास का कहना है कि सड़क निर्माण होने से वे काफी खुश थे. क्योंकि इससे पहले उनके पास मुख्य इलाकों में जाने के लिए कोई विकल्प नहीं था. आलम ये था कि बारिश के महीनों में वे अपने गांव से बाहर भी नहीं निकलते थे. सड़क बनने से राहत मिली, लेकिन कुछ महीनों में ही इसके जर्जर हालत ने सबको परेशान कर दिया है.बीजापुर के भाजपा जिला महामंत्री श्रीनिवास मुदलियार का कहना है कि संबंधित कंस्ट्रक्सन कंपनी के साथ ही संबंधित विभाग के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.वहीं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष लालू राठौर का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर वो स्थानीय विधायक विक्रम शाह मंडावी से बात करेंगे. मामले में कलेक्टर केडी कुंजाम का कहना है कि अभी सड़क पूरी तरह से नहीं बनी है. सड़क पर कुछ ही जगहों पर गड्ढे हुए हैं. ठेकेदार को पूरा भूगतान नहीं किया गया है.