भोपाल,प्रदेश में साल के अंत में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे इसको लेकर संशय बन गया है। वजह है राजभवन द्वारा सरकार के उस प्रस्ताव को लौटा देना, जिसमें निकायों के अध्यक्षों व महापौर का चयन अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने का प्रावधान किया गया था। इसके बाद से ही राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति नजर आने लगी है। यही नहीं राज्यपाल के इस फैसले से प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया है। प्रदेश में नब्बे के दशक तक पार्षद ही महापौर को चुनते थे, लेकिन कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने नियम में बदलाव करते हुए महापौर का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराने का फैसला किया था। कांग्रेस की मौजूदा सरकार अब फिर अपने फैसले को बदलना चाह रही है। अब महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष सहित नगरीय निकाय के प्रतिनिधियों के चुनाव को राज्य सरकार अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराना चाहती है। जिसके तहत निकायों के अध्यक्षों व महापौर का चुनाव चुने हुए पार्षद करेंगे।
गौरतलब है कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा सरकार के निर्णय का विरोध कर रही है। पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता की अगुवाई में भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की थी। भाजपा ने उनसे इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया था। भाजपा की दलील यह थी कि यह फैसला जनता के हित में नहीं है और इससे भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा। भाजपा नेताओं के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह और प्रमुख सचिव संजय दुबे ने भी राज्यपाल से मुलाकात की थी। मंत्री और प्रमुख सचिव की मुलाकात के बाद राज्य सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का प्रस्ताव राजभवन को भेजा था। राजभवन ने सरकार के इस प्रस्ताव को लौटा दिया है और सरकार से उस पर पुनर्विचार करने को कहा है। इस मुद्दे पर पहले सत्ताधारी दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा आमने-सामने थीं। राज्यपाल के प्रस्ताव वापस करने के बाद राजभवन और सरकार के बीच गतिरोध की स्थिति निर्मित हो गई है।
चुनाव में देरी संभावित
सरकार को नगरीय निकाय चुनाव फरवरी-मार्च में कराना है। राज्यपाल द्वारा नगरीय निकाय चुनाव में बदलाव करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दिए जाने से चुनाव प्रक्रिया में देरी होने के आसार हैं। दोबारा प्रस्ताव भेजे जाने के बाद इस पर मुहर लगने में भी देर हो सकती है। प्रदेश में निकाय चुनाव का कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो रहा है। उसी के मद्देनजर सरकार ने कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद दो प्रस्ताव राज्यपाल को भेजे थे। राज्यपाल लालजी टंडन ने पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, लेकिन महापौर के अप्रत्यक्ष चुनाव से जुड़े प्रस्ताव को वापस भेज दिया है।