जिनपिंग को इमरान के ‘तोहफे’ के खिलाफ PAK में बवाल, सिंध विधानसभा ने दिया झटका

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नई दिल्ली,पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अपने तीसरे आधिकारिक विदेशी दौरे पर चीन पहुंचे हैं, यहां उन्हें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करनी है. चीन के द्वारा पाकिस्तान में बनाए जा रहे चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरोडिर (CPEC) को लेकर ये दौरा अहम है, इमरान खान यहां कराची-पेशावर रेलवे ट्रैक के प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाने पहुंचे हैं. लेकिन घर में उनके लिए बड़ी मुश्किल सामने आई है, क्योंकि सिंध प्रांत के सदन में इमरान के इस प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है और इसे लागू ना करने की बात कही है.

सिंध प्रांत के सदन ने सोमवार को इस प्रस्ताव को पारित किया है. गौर करने वाली बात ये है कि कराची-पेशावर रेलवे ट्रैक इमरान खान के दौरे के अहम प्रोजेक्टों में से एक है. सिंध विधानसभा का प्रस्ताव है कि इस ट्रैक के सिवाय कराची सर्कुलर रेलवे प्रोजेक्ट को तवज्जो दी जाए. सोमवार को जब सदन में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के गनवेर इसरान की ओर से इमरान सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया, तो प्रस्ताव पास हो गया.

सिंध सरकार की मांग है कि जब पहले ही कराची सर्कुलर रेलवे प्रोजेक्ट को चीनी सरकार की सहमति से CPEC में शामिल कर लिया गया था, तो इमरान खान की फेडरेल सरकार इस प्रोजेक्ट को हटाकर कराची-पेशावर रेलवे ट्रैक क्यों शामिल करवा रही है. 2016 में सिंध सरकार और चीनी सरकार के बीच कराची सर्कुलर रेलवे प्रोजेक्ट पर समझौता हुआ था. दोनों के बीच इसको लेकर 2017-2018 तक कई बैठकें भी हो गई थीं.

सिंध सरकार का दावा है कि KCR प्रोजेक्ट कराची के लोगों के लिए काफी रोजगार और निवेश लाने वाला होगा, लेकिन इमरान सरकार का फैसला जनता के लिए धोखा होगा.

सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने इसको लेकर इमरान खान से अपील भी की है और इस प्रोजेक्ट की गारंटी लेने की मांग की है. उन्होंने इतना भी कह दिया है कि अगर इमरान सरकार इसपर मंजूरी नहीं लाती है तो कराची-पेशावर रेलवे ट्रैक प्रोजेक्ट को सिंध प्रांत में लागू नहीं करने दिया जाएगा.

गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर बना रहे हैं. इसके तहत चीन पाकिस्तान में कई तरह के बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और अरबों रुपये का निवेश कर रहा है. इसी निवेश, कर्ज और प्रोजेक्ट के चलते पाकिस्तान चीन के भारी कर्ज में हैं. इसका कुछ हिस्सा PoK से भी होकर गुजरता है, जिसका भारत ने कई बार कड़ा विरोध किया है.