Nobel Prize 2019: दो अमेरिकी और एक ब्रिटिश को मिला मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार

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नई दिल्ली:  मेडिसन के लिए साल 2019 का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize 2019) अमेरिका के विलियम जी. केलिन जूनियर (William G. Kaelin Jr), ग्रेग एल. सेमेन्जा (Gregg L. Semenza) और ब्रिटिश डॉक्टर सर पीटर जे. रैटक्लिफ (Sir Peter J. Ratcliffe) को संयुक्त रूप से दिया गया है.

नोबेल पुरस्कार व्यक्ति की प्रतिभा के आधार पर दिया जाने वाला विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है, जो हर वर्ष स्टाकहोम (स्वीडन) में 10 दिसम्बर को अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को एक भव्य समारोह में दिया जाता है. ये क्षेत्र हैं, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, चिकित्सा शास्त्र, अर्थशास्त्र, साहित्य एवं विश्व शांति.

यह पुरस्कार पाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की धनराशि मिलती है. इसके अलावा 23 कैरेट सोने का करीब 6 सेंटीमीटर व्यास का 200 ग्राम वजनी पदक और प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाता है. पदक पर एक ओर नोबेल पुरस्कारों के जनक अल्फ्रेड नोबेल का चित्र और उनका जन्म तथा मृत्यु वर्ष और दूसरी ओर यूनानी देवी आइसिस का चित्र, 'रायल एकेडमी ऑफ साइंस स्टाकहोम' तथा पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति का नाम व पुरस्कार दिए जाने का वर्ष अंकित रहता है. देखें- LIVE TV

नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम अक्टूबर माह में ही घोषित कर दिए जाते हैं और यह सर्वोच्च पुरस्कार 10 दिसम्बर को स्टाकहोम में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाता है. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा हस्ती हो, जो बड़े से बड़ा पुरस्कार पाने के बाद भी नोबेल पुरस्कार पाने की अपेक्षा न करता हो. कारण यही है कि जहां यह पुरस्कार पुरस्कृत व्यक्ति को समूची दुनिया की नजरों में महान बना देता है, वहीं यह पुरस्कार मिलते ही शोहरत के साथ-साथ दौलत भी उसके कदम चूमने लगती है.

कब और कैसे हुई नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत?
नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत 10 दिसम्बर 1901 को हुई थी. उस समय रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, साहित्य और विश्व शांति के लिए पहली बार यह पुरस्कार दिया गया था. पुरस्कार में करीब साढ़े पांच लाख रुपये की धनराशि दी गई थी. इस पुरस्कार की स्थापना स्वीडन के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक व डायनामाइट के आविष्कारक डा. अल्फ्रेड नोबेल द्वारा 27 नवम्बर 1895 को की गई वसीयत के आधार पर की गई थी, जिसमें उन्होंने रसायन, भौतिकी, चिकित्सा, साहित्य और विश्व शांति के लिए विशिष्ट कार्य करने के लिए अपनी समूची सम्पत्ति (करीब 90 लाख डॉलर) से मिलने वाले ब्याज का उपयोग करते हुए उत्कृष्ट कार्य करने का अनुरोध किया था और इस कार्य के लिए धन के इस्तेमाल हेतु एक ट्रस्ट की स्थापना का प्रावधान किया था.

इन पांचों क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों के नाम का चयन करने के लिए उन्होंने अपनी वसीयत में कुछ संस्थाओं का उल्लेख किया था. 10 दिसम्बर 1896 को डा. अल्फ्रेड नोबेल तो दुनिया से विदा हो गए पर रसायन, भौतिकी, चिकित्सा, साहित्य व विश्व शांति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों के लिए अथाह धनराशि छोड़ गए.

कौन थे अल्फ्रेड नोबेल?
अल्फ्रेड नोबेल विश्व के महान आविष्कारक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और अपने जीवनकाल में अपने विभिन्न आविष्कारों पर कुल 355 पेटेंट कराए थे. उन्होंने रबड़, चमड़ा, कृत्रिम सिल्क जैसी कई चीजों का आविष्कार करने के बाद डायनामाइट का आविष्कार करके पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया और विश्व भर में विकास कार्यो को नई गति एवं दिशा प्रदान की क्योंकि डायनामाइट के आविष्कार के बाद ही सुरक्षित विस्फोटक के जरिये भारी-भरकम चट्टानों को तोड़कर सुरंगे व बांध बनाने तथा रेल की पटरियां बिछाने का कार्य संभव हो पाया था. उन्होंने डायनामाइट के विकास की प्रक्रिया में काफी नुकसान भी झेला लेकिन वे दृढ़ निश्चयी थे और इसकी परवाह न करते हुए खतरनाक विस्फोटक 'नाइट्रोग्लिसरीन' के इस्तेमाल से डायनामाइट का आविष्कार करके 1867 में इंग्लैंड में इस पर पेटेंट भी हासिल कर लिया.