शैफाली को अकैडमी ने प्रवेश के लिए बनना पड़ा था लड़का  

0
59

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय टीम को शानदार जीत दिलाने वाली महिला क्रिकेटर शैफाली वर्मा को एक समय क्रिकेट अकैडमी ने प्रवेश देने तक से मना कर दिया था। तब शैफाली ने लड़के के रुप में ट्रेनिंग लेनी शुरु कर दी। इसका कारण यह था कि उनके गृह नगर रोहतक में लड़कियों के लिए कोई अकैडमी नहीं थी। भारतीय महिला क्रिकेट टीम में सबसे कम उम्र में टी20 अंतरराष्ट्रीय में डेब्यू करने वाली 15 साल की इस बल्लेबाज ने क्रिकेट के लिए अपने बाल तक कटवा लिए थे। शैफाली के पिता ने कहा, 'कोई मेरी बेटी को प्रवेश नहीं देना चाहता था क्योंकि रोहतक में लड़कियों के लिए एक भी अकैडमी नहीं थी। तब मैं अपनी बेटी के बाल कटवा कर उसे एक अकैडमी ले गया और लड़के की तरह उसका प्रवेश कराया।' 
लड़कों की टीम में खेलते हुए कई बार चोट खाने वाली शैफाली का पैशन क्रिकेट के लिए बढ़ता था हालांकि, स्थितियां बदलीं जब उसके स्कूल ने लड़कियों के लिए क्रिकेट टीम बनाने का फैसला किया। संजीव ने कहा, 'लड़कों के खिलाफ खेलना आसान नहीं था क्योंकि अक्सर उसकी हेलमेट में चोट लगती थी। कुछ मौकों पर, बॉल उसके हेलमेट ग्रिल पर भी लगती थी। मैं डर जाता था, लेकिन उसने हार नहीं मानी।'
शैफाली में क्रिकेट का पैशन उस वक्त शुरू हुआ जब सचिन तेंडुलकर 2013 में हरियाणा में अपना आखिरी रणजी मैच खेलने आए थे। 9 साल की शैफाली स्टेडियम में अपने पिता के साथ बैठी सचिन, सचिन के नारे लगा रही थी। डेनियर वायट और मिथाली राज उसे अगला सुपरस्टार करार दे रही हैं। शैफाली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 33 बॉल में 46 रन बनाए। हालांकि, अपने डेब्यू मैच में वह सिर्फ 4 गेंद खेल पाई थीं। शैफाली ने कहा, 'अपने पहले मैच में डक हो जाने के बाद मैं थोड़ा रिलैक्स महसू कर रही थी। सीनियर प्लेयर्स मेरे पहले मैच के बाद मुझे सपॉर्ट कर रहे थे और मुझे खुशी है कि मैंने टीम की जीत में योगदान दिया।' शैफाली को भारतीय टीम में खेलने का मौका तब मिला जब उन्होंने घरेलू सीजन में 1923 रन बनाए, जिसमें छह शतक और तीन अर्ध शतक शामिल हैं। रोहतक के सैंट पॉल स्कूल की 10वीं की छात्रा शैफाली ने कहा, 'मेरा लक्ष्य भारत के लिए ज्यादा से ज्यादा मैच खेलना है और देश के लिए मैच जीतना है।'
हालांकि, इन सालों में उनके पिता संजीव को अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों के ताने सुनने पड़े। संजीव याद करते हैं, 'पड़ोसी और रिश्तेदारों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। तुम्हारी लड़की लड़कों के साथ खेलती है, लड़कियों का क्रिकेट में कोई भविष्य नहीं है। 'मुझे और मेरी बेटी को समाज से इतना सुनना पड़ा कि कोई भी परेशान हो जाए लेकिन शैफाली ने एक दिन मुझसे कहा- ये लोग किसी दिन मेरे नाम का नारा लगाएंगे।' शैफाली सही थी। शैफाली के डेब्यू के बाद ही यही लोग उसकी तारीफ कर रहे हैं। यह सिर्फ संजीव की दृढ़ प्रतिज्ञा थी जिस वजह से शैफाली भारत के लिए खेल रही है। उन्होंने कहा, 'जब वह मई में महिलाओं के टी20 चैलेंज मैच के दौरान वेलोसिटी टीम के खिलाफ खेलते हुए टीवी पर नजर आई, जो कोई भी उसकी आलोचना कर रहे थे, सब चुप हो गए। मैं बेहद गर्व महसूस कर रहा था।' संजीव ने कहा, 'मेरे तीन बच्चे हैं, एक बेटा और दो बेटियां। मेरी छोटी बेटी ने भी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया है। यह सिर्फ शुरुआत है। मुझे उम्मीद है कि रोहतक की और लड़कियां देश के लिए खेलेंगी।'