हरदा में टूटी परंपरा, बेटियों ने पिता का अंतिम संस्कार कर फर्ज निभाया

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हरदा. हरदा में आज बेटा न होने पर बेटियों ने रूढ़िवादी और पुरानी परंरपराओं को तोड़कर बेटे का फर्ज निभाया. इन बेटियों ने पिता का अंतिम संस्कार कर समाज में एक उदाहरण पेश किया. हरदा के खेड़ीपुरा मोहल्ले में रहने वाले रवि शर्मा की अंतिम यात्रा का दृश्य देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं. खेड़ीपुरा के रहने वाले 45 साल के रवि शर्मा की बीमारी की वजह से शनिवार को मृत्यु हो गई. परिवार में बेटा नहीं है, सो बेटियां- सुप्रिया और पृथा ने ही पिता के अंतिम संस्कार का फर्ज निभाया.

बड़ी बेटी के साथ ही गए थे बाजार

हरदा निवासी रवि शर्मा को लिवर से जुड़ी बीमारी थी. शनिवार की दोपहर बड़ी बेटी सुप्रिया के साथ वे बाजार गए थे. लौटकर आए तो तबीयत बिगड़ने लगी. परिजन और पड़ोसी फौरन अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया. अब बात जब रवि शर्मा के अंतिम संस्कार की उठी, तो घर में बेटा न होने की बात रिश्तेदारों ने उठाई. इस पर दोनों बेटियों ने आगे आकर पिता की अंतिम क्रिया करने की बात कही. 17 वर्षीय सुप्रिया और उसकी छोटी बहन पृथा का साहस देख वहां मौजूद लोग हैरान रह गए. मगर मां भी बेटियों के समर्थन में आई, तो रिश्तेदारों की आवाज धीमी पड़ गई.

बेटियों के फैसले को सराहा

पिता का अंतिम संस्कार करने वाली बेटियों के साहस की शुरुआत में भले ही लोगों ने आलोचना की, मगर बाद में सभी ने इस साहस भरे फैसले की सराहना की. जब दोनों बेटियां पिता की अंतिम यात्रा के दौरान हांडी लेकर आगे-आगे चलीं, तो सबकी आंखें नम हो गईं. बेटियों के मामा रितेश शर्मा ने कहा कि बच्चों के फैसले पर सबने सहमति जतायी और बेटियों ने बेटो का फर्ज अदा किया. परिवार के बुजुर्ग सदस्य और रिश्ते में रवि शर्मा के भाई ओमप्रकाश पराशर ने भी फैसले का समर्थन किया.