जम्मू-कश्मीर के अखनूर में आर्मी एंबुलेंस पर फायरिंग:एनकाउंटर जारी, 4 दिन पहले आर्मी वैन पर हुए हमले में 5 की जान गई थी

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जम्मू-कश्मीर के अखनूर में आतंकी हमले के बाद एनकाउंटर रुक गया है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह 7:26 मिनट पर लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पास आतंकवादियों ने भट्टल इलाके में आर्मी एंबुलेंस पर करीब एक दर्जन गोलियां दागीं। हमला करने के बाद आतंकवादी भाग गए, इसके बाद सेना ने सर्च ऑपरेशन चलाया। बाद में भट्टल इलाके में एनकाउंटर हुआ। हालांकि, दोनों तरफ से फायरिंग बंद हो गई है। सुरक्षाबलों का कहना है कि आतंकी जंगल की तरफ भाग गए हैं। इससे पहले 24 अक्टूबर को बारामूला में सेना की गाड़ी पर आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 3 जवान और 2 पोर्टर की जान गई थी।

मंदिर में मोबाइल ढूंढ रहे थे आतंकवादी

अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादी आसन मंदिर में एक मोबाइल ढूंढ रहे थे। उन्हें किसी को कॉल करनी थी। इसी दौरान एंबुलेंस गुजरी और आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि आतंकवादी पिछली रात बॉर्डर पार करके अखनूर में आए।

एक हफ्ते में 5वां हमला, 3 हमले गैर-स्थानीय लोगों पर

जम्मू-कश्मीर में 16 अक्टूबर से अब तक यह 5वां हमला है। इन हमलों में 3 जवान शहीद हुए हैं। वहीं, 8 गैर स्थानीय लोगों की मौत हुई है।

  • 24 अक्टूबर: बारामूला में सेना की गाड़ी पर आतंकियों के हमले की जिम्मेदारी PAFF संगठन ने ली थी। पुलिस ने बताया था आतंकी हमला करके जंगल की ओर भाग गए थे। ​
  • 24 अक्टूबर: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के बटगुंड में आंतकवादियों ने मजदूर पर गोलीबारी की। हमले में मजदूर घायल हो गया, जिसका इलाज चल रहा है।
  • 20 अक्टूबर: गांदरबल के सोनमर्ग में कश्मीर के डॉक्टर, MP के इंजीनियर और पंजाब-बिहार के 5 मजदूरों की जान गई थी। इसकी जिम्मेदारी लश्कर के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली।
  • 16 अक्टूबर: शोपियां में आतंकियों ने गैर-स्थानीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमले के बाद इलाके में आतंकियों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया।

घाटी में गैर-कश्मीरियों की हत्या का कारण

खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई साजिश है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।