केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के हाजीपुर से लोकसभा की सदस्यता को लेकर चुनौती दी गई है। उन पर रेप जैसे संगीन केस की जानकारी छिपाने का गंभीर आरोप लगाया गया है। इस कारण उनके खिलाफ पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है। साथ ही चुनाव आयोग से भी शिकायत की गई है।
तीनों ही जगह पर अपील कर हाजीपुर से उनकी लोकसभा की सदस्यता को खत्म किए जाने की मांग की गई है। यह मांग भाजपा नेता राकेश सिंह ने की है। इनका दूसरा आरोप है कि खगड़िया के शहरबन्नी में पैतृक संपत्ति की भी सही जानकारी चिराग पासवान ने अपने हलफनामा में नहीं दी है। सही तथ्यों को उन्होंने छिपाया है।
उनके अपील पर डायरी हो गई है और टोकन नंबर भी मिल गया है। इस मामले में उन्होंने चुनाव आयोग, हाजीपुर डीएम और रिटर्निंग अफसर को रेस्पोंडेंट बनाया है। बड़ी बात यह है कि चिराग पासवान के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले राकेश सिंह लंबे वक्त से भाजपा से जुडे़ हैं। लेकिन, 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में वो लोजपा के टिकट पर ही जहानाबाद के घोषी से प्रत्याशी रहे हैं। हालांकि, वो चुनाव हार गए थे। 2020 में भी राकेश बीजेपी में ही थे, लेकिन बीजेपी ने लोजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था।
दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में चिराग पर केस
भाजपा नेता राकेश सिंह दावा करते हैं कि ‘चिराग दलितों के साथ अन्याय कर रहे हैं। ये दलित के नाम पर मलाई खा रहे हैं। इनके हलफनामा (हाजीपुर लोकसभा चुनाव के दौरान जो चुनाव आयोग को दिया) को हमने पढ़ा है। उसका रिव्यू किया, तब पता चला कि दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में चिराग के ऊपर रेप का केस दर्ज है। उस केस में पहले आरोपी उनके चचेरे भाई और राष्ट्रीय लोजपा के नेता और पूर्व सांसद प्रिंस राज हैं। जबकि, उसी केस के दूसरे आरोपी चिराग पासवान हैं। यह मामला साल 2021 का है। इस केस की जानकारी को उन्होंने अपने हलफनामा (हाजीपुर लोकसभा चुनाव के दौरान जो चुनाव आयोग को दिया) में दी ही नहीं। इसे चिराग ने छिपाया है। इसके बाद ही इस मामले की खुद से पड़ताल की। रेप के उस केस की सर्टिफाइड कॉपी को दिल्ली हाईकोर्ट से निकलवाई। तब पता चला कि इस मामले में चिराग दिल्ली हाईकोर्ट की शरण में गए हुए हैं और उनसे इस मामले में एग्जम्प्ट करने की मांग की है।’
2 अगस्त को भेजा गया था नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट का पेपर दिखाते हुए राकेश बताते हैं कि ‘13 अगस्त को अपीयर होने के लिए 2 अगस्त को इन्हें नोटिस भेजा गया था। वकील के माध्यम से उस दिन ये अपीयर हुए भी थे। हालांकि, इस केस में अगली तारीख पड़ गई है। इसलिए जब भी अगली सुनवाई होगी तो सब कुछ सामने आ जाएगा। ऊपर से हाईकोर्ट ने इन्हें कहा है कि हम एग्जम्प्ट नहीं करेंगे। आपको ट्रायल में जाना होगा।’
2021 में कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई थी FIR
चिराग के चुनावी हलफनामा को दिखाते हुए राकेश सिंह कहते हैं कि ‘रेप एक जघन्य अपराध है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट के आदेश पर वहां 2021 में पुलिस ने FIR दर्ज की थी। इसकी जानकारी लिखित में देने की जगह उन्होंने छिपाई है।
राकेश ने कहा कि ‘चिराग का अपना कोई वजूद नहीं है। वजूद तो उनके पिता रामविलास पासवान का था। ये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव जीतकर आए हैं और ये आरक्षण मामले पर उनके ही खिलाफ गए। इसलिए इनकी लोकसभा सदस्यता को हमने चुनौती दी है। ये एक प्रमाणिक आरोप है। क्योंकि, किसी केंद्रीय मंत्री पर कोई भी शख्स ऐसे ही आरोप नहीं लगा देगा।’
ये तो हैं बड़े जमींदार
राकेश सिंह का दावा है कि चुनावी हलफनामा में इन्होंने अपनी प्रॉपर्टी के बारे में भी तथ्य छुपाए हैं। उसमें सिर्फ पटना के एसके पुरी के घर के बारे में बताया है।उन्होंने कहा कि ‘खगड़िया के शहरबन्नी गांव में भी इनकी प्रॉपर्टी है। वहां 80 एकड़ की इनकी पैतृक संपत्ति है। जिसका बंटवारा नहीं हुआ है। जब ये संपत्ति पहले से इनके पास है तो भी इसकी जानकारी उन्होंने छिपा ली। चिराग तो बहुत बड़े जमींदार हैं। ये कहते हैं कि हम दलित हैं। अगर उस संपत्ति में इनका हिस्सा भी होगा तो कम से कम 25 से 30 एकड़ का होगा।’
डिग्री को भी बताया फर्जी
राकेश सिंह ने चिराग की बीटेक की डिग्री पर भी सवाल उठाया है। इसकी भी शिकायत अपनी शिकायत में की है। इनका दावा है कि ‘झांसी की जिस बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से जुड़े कंप्यूटर इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलजी कॉलेज से 2005 में वो बीटेक की पढ़ाई करने की बात कर रहे हैं। उसमें भी झोल है। वो झांसी में एक दिन भी किसी को दिखाई नहीं दिए। कॉलेज के रजिस्टर में एक दिन भी उनका अटेंडेंटस नहीं बना है। उन्होंने फर्जी डिग्री ली है। ये मल्टी एंगल से फंसते हुए दिख रहे हैं। ये तो अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी सही से बात नहीं करते हैं। ये एक बड़े ऐरोगेंट हैं और अपने लिए जीते हैं।’
बर्दाश्त नहीं हुई उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स
भाजपा नेता का आरोप है कि ‘चिराग दबाव की राजनीति कर रहे हैं। आरक्षण के मामले पर जब चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बयानों के जरिए अटैक किया तो हमसे रहा नहीं गया। उन्हें सुप्रीम कोर्ट और संविधान पीठ के आदेश पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। सरकार को जो करना होगा वो करेगी। लेकिन, उस मौके पर इन्होंने दबाव की राजनीति की। केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। झारखंड और बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए भाजपा पर दलित विरोधी होने का ये प्रेशर बनाने लगे।
खुलासे के बाद हम पर भी खतरा है
जिसके बाद इनके खिलाफ हमने मोर्चा खोल दिया। फिर अपनी तहकीकात शुरू कर दी। इस मामले का खुलासा करने के कारण हम पर भी खतरा है। हमला हो सकता है। पर मुझे किसी पद की कोई चाहत नहीं है। 2 साल से लगातार बीमार होने के कारण मौत से मुझे डर नहीं लगता है। भाजपा के किसी भी बड़े नेता के इंस्ट्रक्शन पर यह काम नहीं कर रहे हैं। हालांकि, इसके लिए भाजपा मुझे जो दंड देगी, उसे बर्दाश्त कर लेंगे। अगर दबाव बना तो पार्टी भी छोड़ देंगे, पर इस मामले को अंजाम तक पहुंचाएंगे।’