बिलासपुर। शहर में जेनेरिक दवाओं को लेकर कई गलतफहमियां फैली हुई हैं। लोग इन दवाओं को नकली समझकर उनसे दूरी बनाते हैं और महंगी ब्रांडेड दवाओं को प्राथमिकता देते हैं। जबकि सच यह है कि जेनेरिक दवाएं भी ब्रांडेड दवाओं की तरह ही प्रभावी होती हैं।
जेनेरिक दवाओं की निर्माण सामग्री और गुणवत्ता मानक ब्रांडेड दवाओं के समान होते हैं, लेकिन कम कीमत के कारण उन्हें शक की नजर से देखा जाता है। शहरवासियों के इस भ्रम को दूर करने के लिए नईदुनिया की टीम ने विशेषज्ञों से बात की और पाया कि जेनेरिक दवाएं भी पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी होती हैं।
क्यों होती है जेनेरिक दवाएं सस्ती
कोई नई दवा विकसित की जाती है, तो उसे बनाने वाली कंपनी पेटेंट के लिए आवेदन करती है। इससे उसे दवा की खोज और विकास पर हुए निवेश की भरपाई करने का अवसर मिलता है। इस अवधि में दवा को केवल कंपनी ही अपने ब्रांड नाम के तहत बेच सकती है। पेटेंट की अवधि समाप्त होने के बाद अन्य कंपनियों को भी उसी दवा का उत्पादन करने की अनुमति मिल जाती है।
थायराइड, शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं की कीमतों में काफी अंतर है
इसी तरह ब्लड प्रेशर के लिए टेलीप्रेस एएम की कीमत 319 रुपये है, जबकि टेल्कानोल एएम जैसी जेनेरिक दवा सिर्फ 48 रुपये में राज्य सरकार द्वारा संचालित्य धन्वंतरि मेडिकल स्टोर में मिल जाती है।