केरल में ब्रेन पर असर डालने वाला नया वायरस मिला है। इससे जनवरी से अब तक कुल 15 केस सामने आए हैं, जिनमें 5 लोगों की मौत हो चुकी है। इस वायरस को अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नाम दिया गया है।
इस वायरस के सबसे अधिक 7 केस तिरुवनंतपुरम से सामने आए हैं। ये जानकारी केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज 7 अगस्त को दी।
मेडिकल बोर्ड गठित, लेकिन अब तक गाइडलाइन नहीं बनी
वीना जॉर्ज ने बताया कि इसको लेकर एक मेडिकल बोर्ड गठित किया गया है, जो स्थिति पर नजर बनाए हुए है। हालांकि अब तक कोई गाइडलाइन नहीं बनाई गई है। लेकिन वायरस से इलाज के लिए केंद्र सरकार ने दवाईयों की आपूर्ति की है। साथ ही जर्मनी से दवाइयां खरीदी जा रही हैं।
पुणे में जीका वायरस के भी 8 नए केस मिलें
महाराष्ट्र के पुणे में बुधवार को जीका वायरस के 8 नए केस मिले। इनमें 6 प्रेग्नेंट महिलाएं शामिल है। पुणे नगर निगम के मुताबिक, जून से अब तक करीब 81 मामले सामने आए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि, अब तक इस वायरस से 4 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि ये सभी मरीज अन्य बीमारियों से भी ग्रसित थे।
क्या होता है जीका वायरस?
जीका वायरस एडीज मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। इसमें ऑर्गेनिज्म हमारी कोशिकाओं का इस्तेमाल करके अपनी ढेर सारी कॉपीज बना लेता है। इस बीमारी के साथ मुश्किल यह है कि ज्यादातर संक्रमित लोगों को पता नहीं चलता है कि वे जीका वायरस से संक्रमित हैं।
असल में जीका वायरस के लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इसके बावजूद यह गर्भवती महिलाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इस वायरस के कारण भ्रूण का मस्तिष्क पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता है।
जीका वायरस के क्या लक्षण हैं
जीका से पीड़ित ज्यादातर लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, जीका वायरस से संक्रमित केवल 5 में से 1 व्यक्ति में ही लक्षण दिखाई देते हैं। जो लक्षण नजर आते हैं, वे इतने कॉमन हैं कि यह अंदाज लगा पाना मुश्किल हो जाता है कि यह जीका वायरस के कारण ही है।
गर्भवती महिला की भ्रूण को खतरा ज्यादा
जीका वायरस सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है। यह वायरस महिला के भ्रूण को भी संक्रमित कर सकता है और उसके विकास को बाधित कर सकता है। गर्भवती महिला में जीका वायरस प्लेसेंटा के जरिए भ्रूण तक पहुंच सकता है।
जीका के कारण बच्चा माइक्रोसेफली जैसी जन्मजात मेडिकल कंडीशन के साथ पैदा हो सकता है। माइक्रोसेफली का मतलब यह हो सकता है कि बच्चे का मस्तिष्क ठीक से विकसित नहीं हुआ है। इन बच्चों का सिर भी देखने में औसत से छोटा होता है।
इसके अलावा ये लक्षण भी हो सकते है…
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- जन्मजात जीका सिंड्रोम: बच्चे के जन्म के समय ही कई कंडीशन दिख सकती हैं। इसमें गंभीर माइक्रोसेफली, हल्की चपटी खोपड़ी, मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की कमी, कमोजर आंखें, जोड़ों की समस्याएं और हाइपरटोनिया जैसी समस्याएं शामिल हैं।
- मस्तिष्क का पूर्ण विकास न होना: इसमें न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, मस्तिष्क में फोल्ड्स न होना, मस्तिष्क में कुछ संरचनाओं का न होना और ब्रेन एट्रॉफी जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
- सेरेब्रल पाल्सी: सेरेब्रल हमें ब्रेन और बाकी अंगों के बीच कोऑर्डिनेशन की क्षमता देता है और यह हमारी मसल्स को कंट्रोल करता है। अगर सेरेब्रल पाल्सी की समस्या है तो इन क्षमताओं में कमी आ जाती है।
- इनके अलावा दृष्टि या श्रवण संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है।