एम्स भोपाल को मिली हृदय और फेफड़ा प्रत्यारोपण की मंजूरी… मध्यभारत का पहला सरकारी अस्पताल भी बना

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भोपाल। मध्‍य प्रदेश के सरकारी व निजी अस्पतालों में वर्तमान में मुख्य रूप से बोन मैरो, किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट ही हो रहे हैं। ब्रेनडेड मरीज के अंगदान के लिए परिवार की अनुमति के बाद फेफड़े और हृदय को दूसरे राज्यों के मरीजों को भेजना पड़ता था। कई बार दूरी ज्यादा होने पर यह अंग उपयोग नहीं होते थे।

अब यह समस्या खत्म होने जा रही है। मध्य भारत के जरूरतमंद मरीजों का एम्स भोपाल में ही फेफड़े और हृदय प्रत्यारोपण ट्रांसप्लांट हो सकेगा। एम्स के निदेशक डाॅ. अजय सिंह ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। उनके कार्यकाल के दो वर्ष पूरे हो गए। इस मौके पर उन्‍होंने एम्‍स की दो वर्षाें की उपलब्धियां भी बताईं।

अब तक किडनी व बोनमैरो ट्रांसप्लांट ही हो रहे

  • वर्तमान में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ किडनी व बोन मैरो ट्रांसप्लांट की ही व्यवस्था है।
  • किडनी ट्रांसप्लांट मध्‍य प्रदेश की राजधानी में एम्स अस्‍पताल और हमीदिया अस्‍पताल ही कर रहे हैं।
  • इसके साथ ही इंदौर के मेडिकल काॅलेज में अभी किडनी व बौन मैरो ट्रांसप्लांट की व्यवस्था है।
  • मिली जानकारी के अनुसार अब तक एम्स में 12 से 13 बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो चुके हैं।

एक वर्ष में 10 लाख मरीज आए ओपीडी में

एम्स में बढ़ी सुविधाओं का नतीजा है कि एक वर्ष में अब 10 लाख 50 हजार मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आए। मरीजों को परेशानी होने पर वे 7773010099 और 9582559721 पर काल या वाट्सएप कर शिकायत कर सकते हैं। एम्स निदेशक सिंह ने बताया कि वे टीचिंग और ट्रेनिंग, पेशेंट केयर, प्रशासनिक पहल, आउटरीच और सामुदायिक कार्यक्रम तथा महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदमों के लिए लगातार काम करते रहेंगे।

200 वर्चुअल बेड का कर रहे संचालन

एम्स भोपाल ई कंसलटेंसी की मदद से प्रदेश के 50 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से जुड़ा है, जिसमें मरीज के इलाज के लिए एम्स और संबंधित सेंटर के डाॅक्टर एक-दूसरे से बात कर सकते हैं। यही नहीं टेली आईसीयू के तहत सतना और विदीशा के मेडिकल काॅलेज में भर्ती मरीजों का एम्स के डाॅक्टर इलाज मुहैया करा रहे हैं। एम्स भोपाल 200 वर्चुअल बेड का संचालन कर रहा है। अब उनसे जुड़ने के लिए उत्तरप्रदेश के अस्पताल भी तैयार हैं।

शुरू हो रहे सात नए विभाग

पिछले दो वर्ष में तीन नए विभाग मेडिकल जेनेटिक्स, रुमेटोलाजी और क्लिनिकल इम्यूनोलाजी व क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग स्थापित किए गए। अब चार नए सेंटर, हैप्पीनेस सेंटर, सेंटर ऑफ प्रिसिशन, सेंटर आफ एक्सीलेंस इन रेयर डिसीज, सेंटर ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज खोले गए हैं। इसके अलावा 13 नए पीजी से संबंधित सुपर स्पेशलिस्ट कोर्स और 34 नई फैलोशिप शुरू की गई। एम्स 50 अन्य ऐसे मेडिकल काॅलेज जहां शिक्षकों की कमी है, वहां विद्यार्थियों के लिए डिजि‍टल लेक्चर उपलब्ध करवा रहा है। यहां संचालित स्टुडेंट्स वेलनेस सेंटर में एक वर्ष में 714 विद्यार्थियों ने कंसल्ट किया।