भोपाल। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मध्य प्रदेश के काॅलेजों में इस सत्र से स्नातक (यूजी) चार साल का किया गया है। इसमें दो तरह के विकल्प ऑनर्स और ऑनर्स विथ रिसर्च है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन प्रवेश की संख्या काफी कम है। अब तक एक हजार विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। 20 अगस्त तक यूजी चतुर्थ वर्ष में प्रवेश मिलेगा, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग किताबें तैयार नहीं करवा पाया है। इससे चतुर्थ वर्ष में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई कैसे शुरू हो पाएगी।
- कॉलेजों में अब तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है, जबकि अगस्त से कक्षाएं लगनी थी।
- जानकारी के अनुसार अब तक इस पाठ्यक्रम की किताबें प्रकाशित नहीं की गई हैं।
- बताया गया है कि किताबों के प्रकाशन में दो महीने से भी ज्यादा का समय लग सकता है।
- मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी विद्याथियों के लिए किताबों का प्रकाशन करती है।
- उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का यह चौथा साल है।
- यह तय था कि चतुर्थ वर्ष रहेगा, फिर भी सिलेबस और किताबों का प्रकाशन समय से नहीं हुआ।
- हालांकि, प्रदेश के कालेजों में करीब एक लाख विद्याथियों के चतुर्थ वर्ष में प्रवेश लेने की संभावना है।
- प्रोफेसरों का कहना है कि किताबें तैयार नहीं होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी।
- जानकारी के अनुसार सिलेबस देर से तैयार होने की प्रमुख वजह प्लानिंग की कमी रही।
- जानकारों का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होते ही सिलेबस पर काम होना चाहिए था।
- जल्दबाजी में फैसले लिए गए और इस वजह से किसी भी वर्ष किताबें समय पर प्रकाशित नहीं हो सकीं।
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पाठ्यक्रम देर से तैयार हुआयूजी चतुर्थ वर्ष की प्रक्रिया शुरू से धीमी गति से हुई। विभाग में पाठ्यक्रम तैयार करने का काम जून तक चलता रहा। इसके बाद इसे अपलोड किया गया। अब हिंदी ग्रंथ अकादमी के माध्यम से किताबों के लिए लेखन कार्य चल रहा है। उच्च शिक्षा विभाग ने इस साल फरवरी-मार्च से ही सिलेबस बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। विभाग को चतुर्थ वर्ष के लिए 80 से ज्यादा विषयों का पाठ्यक्रम तैयार करना था। लेकिन, कई विषयों का काम अब भी अधूरा है।बिना किताबों के कैसे पढ़ेंगे विद्यार्थीबाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. संजय जैन ने कहा कि अब तक किताबें नहीं मिली हैं। कक्षाएं लगेंगी तो प्रोफेसर्स अपने अनुभव के आधार पर पढ़ाएंगे। इसमें विद्यार्थियों को समस्या होगी। किताबों के लेखन के बाद अशुद्धि दूर करने के लिए दोबारा जांच होती है। इसके बाद प्रकाशन में भी समय लगता है। किताबें मिलने में करीब दो माह का समय लगेगा।