7 मई को मॉस्को के क्रेमलिन हॉल में व्लादिमीर पुतिन ने 5वीं बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली। पुतिन पहली बार 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने थे, अब वो 2030 तक इस पद पर बने रहेंगे। ऐसा कर वो रूस के 200 साल के इतिहास में सबसे लंबे वक्त तक सत्ता पर काबिज रहने वाले नेता बन जाएंगे।
लेकिन क्या ऐसा होने से पुतिन पूरी दुनिया के भी सबसे ताकतवर नेता माने जाएंगे?
पुतिन के मुकाबले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कितने ताकतवर हैं? 7 अलग-अलग पैमाने पर इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं…
अगर सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने के आधार पर ये तय किया जाए कि कौन सबसे ज्यादा पावरफुल हैं तो इसमें सबसे पहले नंबर पर पुतिन, फिर शी जिनपिंग और तीसरे नंबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। हालांकि, पुतिन पर आरोप है कि वो रूस में निष्पक्ष चुनाव नहीं होने देते। मार्च में हुए चुनाव से ठीक पहले उनके सबसे बड़े विरोधी अलेक्सी नवलनी की मौत हो गई।
वहीं, चीन में एक पार्टी की हुकूमत है। शी जिनपिंग 2013 से बार-बार कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चुने जा रहे हैं। भारत में मल्टी पार्टी सिस्टम है। यहां पिछले 10 साल से सत्ता में रहने वाले नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा चुनौती विपक्षी नेता राहुल गांधी से मिलती है। राहुल का आरोप है कि मोदी जांच एजेंसियों की मदद से विपक्ष को कमजोर कर रहे हैं।
एक्सपर्ट कमेंट
JNU में रशियन स्टडीज के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता है कि पुतिन सबसे पावरफुल लीडर हैं। ये जरूर है कि मिलिट्री पावर के तौर पर रूस एक बड़ा देश है। पुतिन पूरे मीडिया को कंट्रोल में रखते हैं, सीक्रेट पुलिस के जरिए देश चलाते हैं। ऐसे में वो कुछ समय तक सत्ता को जरूर कंट्रोल में रख सकते हैं, लेकिन इससे ये साबित नहीं होता है कि आप ताकतवर हैं। ऐसे नेता की बजाय वो लीडर्स पावरफुल हैं जो जनता के वोट से लोकतांत्रिक तरीके से चुन कर आते हैं।’
अगर GDP को पैमाना माना जाए तो इस मामले में दुनिया के सबसे ताकतवर नेता अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन हैं। वहीं, दो साल से सत्ता में रहने वाले सुनक के देश ब्रिटेन की GDP पुतिन के शासन वाले रूस से 121 लाख करोड़ रुपए ज्यादा है। हालांकि, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत, ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बना है। दूसरी ओर, प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो सभी 6 देशों में भारत सबसे कमजोर है।
ग्लोबल फायर पावर की रैंकिंग के मुताबिक दुनिया की सबसे पावरफुल मिलिट्री बाइडेन के पास है। हालांकि, अगर परमाणु हथियारों की बात करें तो पुतिन और सैनिकों के मामले में नरेंद्र मोदी सबसे आगे हैं। मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट के मुताबिक मिलिट्री पावर में कौन सबसे आगे हैं, ये तय करने का कोई एक पैमाना नहीं है। बचाव और हमले के लिए मॉडर्न हथियार, ट्रेंड सैनिक और परमाणु हथियार सब जरूरी हैं।
डिफेंस एक्सपर्ट जे.एस. सोढ़ी ने बताया कि दुनिया में सिर्फ तीन देश ऐसे हैं, जो कहीं जंग करवा सकते हैं या रुकवा सकते हैं। ये देश अमेरिका, चीन और रूस हैं। इन तीनों देशों को हम जियो पॉलिटिकल पावर कहते हैं। इसके अलावा बाकी सभी देश जैसे भारत, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन आदि जियो पॉलिटिकल पेवट कहलाते हैं।
सोढी के मुताबिक ये देश उतने ताकतवर नहीं हैं, जितने जियो पॉलिटिकल पावर्स हैं। जियो पॉलिटिकल पावर्स दुनिया में शांति और जंग के लिए इन्हीं जियो पॉलिटिकल पेवट का इस्तेमाल करते हैं। इसी साल 17 जनवरी को UK के डिफेंस सेक्रेटरी ग्रांट स्टेप्स ने कहा था कि अगले 5 साल में दुनिया में युद्ध के कई मोर्चे खुलेंगे। इनके लिए जिम्मेदार होंगे- रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया। यही वजह है कि रूस और चीन दोनों देशों ने खुद को हर तरह की जंग के लिए तैयार किया है।
सोढ़ी ने कहा, ‘अगर डिफेंस के लेवल पर 10 में नंबर देने की बात है तो मैं चीन को सबसे ज्यादा 10 में से 10 नंबर दूंगा। इसकी वजह यह है कि चीन ने दावा किया है कि वह दुनिया के किसी भी देश से 6 डोमेन (जमीन, समुद्र, आसमान, साइबर, इलेक्ट्रोमेग्नेटिक स्पेक्ट्रम और स्पेस) में लड़ाई करने के लिए तैयार है। इतना तैयारी अमेरिका के पास भी नहीं है। इसके बाद अमेरिका और रूस को 10 में से 9 अंक मिलेंगे। जबकि भारत, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों को डिफेंस के मामले में 10 में से 8 अंक मिलेंगे।’
चीन भले ही सभी तरह की फसलों के उत्पादन में दुनिया का सबसे बड़ा देश हो, पर खाने से जुड़ी फसलों के मामले में समस्या झेल रहा है। इसकी वजह ये है कि चीन के ज्यादातर इलाके पर्वतीय हैं, जहां खेती नहीं हो सकती है। इसके अलावा जिन इलाकों में खेती होती है, वहां कैश क्रॉप्स जैसे- जूट, कपास और सोर्घम (ज्वार) शामिल हैं।
चीन 23% खाने से जुड़ी फसलें दूसरे देशों से आयात करता है। 2022 में चीन कृषि उत्पाद आयात करने वाला सबसे बड़ा देश था।
वहीं, अमेरिका और भारत बेशक रूस से कृषि उत्पादन में आगे है, लेकिन अगर खाने से जुड़ी फसलों; खासकर गेहूं की बात करें तो रूस दुनिया को सबसे ज्यादा अनाज एक्सपोर्ट करता है। 2021 में रूस ने 33 हजार मीट्रिक टन गेहूं निर्यात किया था। OEC की रिपोर्ट के मुताबिक अकेला रूस दुनिया में 18% अनाज की सप्लाई करता है। अगर रूस अनाज सप्लाई करना बंद कर दे तो कई अफ्रीकी देशों में खाने की कमी हो जाएगी।