नईदिल्ली. मध्यप्रदेश के विदिशा (Vidisha) में पिछले हफ्ते दो सिर और तीन हाथ वाला बच्चा पैदा (Conjoined Twins) हुआ. मजदूर परिवार में पैदा हुए इस बच्चे के पिता जसवंत अहिरवार इसी रूप में उसे पालना चाहते हैं. फिलहाल बच्चे को भोपाल के हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital Bhopal) में रखा गया है. अमेरिकन जर्नल ऑफ मेडिकल जेनेटिक्स (Amercian Journal of Medical Genetics) के मुताबिक विदिशा में पैदा हुए बच्चे जैसा मामला लाखों में एक होता है.
पिडियाट्रिक सर्जरी जर्नल में छपे एक शोध पत्र की माने तो इनमें से केवल 11 फीसदी ही ऐसे होते हैं जिनका धड़ तो एक होता है लेकिन सिर दो. इस तरह के बच्चों में दो से लेकर चार हाथ तक पाए जाते हैं.
एक धड़ पर दो सिर वाले बच्चों को डिसेफल पैरापैगस कहा जाता है. इनमें छाती के नीचे का हिस्स तो एक होता लेकिन उसके ऊपर दो सिर बन जाते हैं. ऐसे मामलों में तीन हाथ होना सामान्य बात है जैसा कि विदिशा में पैदा हुए बच्चे के साथ हुआ है.
दरअसल गर्भ धारण के कुछ सप्ताह पश्चात जब जुड़वा बच्चे बनने की प्रक्रिया बीच में ही रुक जाए तभी इस तरह के बच्चे पैदा होते हैं. फर्टिलाइज़्ड एग प्रेगनेंसी के कुछ सप्ताह बाद जुड़वा बच्चे बनाने के लिए विभाजन शुरू करता है. लेकिन पूरी होने से पहले ही जब यह प्रक्रिया बीच में रुक जाए तभी शरीर से जुड़े बच्चे पैदा होने के केस सामने आते हैं. ऐसा 50 हजार से एक लाख केसों में एक ही बार होता है.
ऐसे बच्चों को अलग करने के ऑपरेशन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आखिर इनका कौन से अंग जुड़ा हुआ है. पैदा होने के बाद शरीर का परीक्षण करके ही डॉक्टर इस बात की तस्दीक कर सकते हैं कि आखिर इन बच्चों के बीच कौन सा अंग साझेदारी में है और कौन-कौन से अंग अलग हैं. कई बार दो सिर और एक धड़ होने पर शरीर के सारे अंग दोनों के लिए एक साथ काम करते हैं. यनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर के मुताबिक ऐसी सर्जरी में 75 फीसदी मामलों में दो में से एक बच्चे को बचाने में सफलता मिलती है.
विदिशा के सदर अस्पताल के डॉक्टर सुरेन्द्र सोनकर ने बताया कि उनके कार्यकाल में पहली बार ऐसा मामला देखने में आया है. अहिरवार दम्पत्ति के घर पैदा हुए इस बच्चे के तीसरे हाथ में दो हथेलियां हैं. शुरुआती जांच में बच्चे के अंदर एक ही हृद्य मिला.