मानव अधिकारों में सबसे बड़ा मूल अधिकार है स्वास्थ्य का अधिकार

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मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि मानव अधिकारों में सबसे बड़ा मूल अधिकार है नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाना। उन्होंने कहा कि जब हम स्वास्थ्य का अधिकार देने की बात करते हैं, तब हमें इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि अधोसंरचना और वित्त के साथ हमारे पास उत्कृष्ट और दक्ष मानव संसाधन भी हो, जिससे लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलना सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि यह हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। श्री कमल नाथ आज मिटों हाल में स्वास्थ्य का अधिकार विषय पर आयोजित दो दिवसीय कॉन्क्लेव का शुभारंभ कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने गत मई माह में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान मध्यप्रदेश में जनता को स्वास्थ्य का अधिकार देने की योजना बनाने के निर्देश दिये थे। यह कॉन्क्लेव मुख्यमंत्री की इसी मंशा को पूरा करने के लिए आयोजित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार, नागरिकों का बुनियादी अधिकार है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारी स्वास्थ्य सुविधाएँ पिछड़ी हुई हैं। हमारे पास अधोसंरचना है, बजट भी है, लेकिन प्रशिक्षित चिकित्सक सहित अन्य मानव संसाधनों की बहुत कमी है। उन्होंने कहा कि हमें संख्या के आधार पर नहीं, गुणवत्ता के आधार पर चिकित्सा से जुड़े लोगों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा का व्यवसाय मानव सेवा से जुड़ा हुआ है। इससे जुड़े जितने भी लोग हैं, वे नौकरी के रूप में नहीं बल्कि समाज सेवा के रूप में अपना काम करें। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करते हुए हमें लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुँचाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अन्य क्षेत्रों के साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में भी बड़े परिवर्तन हुए हैं और नई-नई तकनीकें इजाद हुई हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हम भविष्य को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन परिवर्तनों का बेहतर उपयोग करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में पीपीपी मॉडल का मैं समर्थन करता हूँ लेकिन इसका सही मॉडल हमें देखना होगा जो लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएँ दे सके। उन्होंने कहा कि आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है, अगर हैं, तो डॉक्टर नहीं हैं।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि हम कितनी भी अच्छी योजनाएँ बना लें लेकिन उसका डिलेवरी सिस्टम ठीक नहीं है, तो हमारी सारी योजनाएँ फेल हो जाती हैं। श्री कमल नाथ ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार व्यवस्था में हम जो भी कार्य प्रक्रिया अपनाएँ, उसकी क्रियान्वयन व्यवस्था पुख्ता हो और लोगों तक उसका लाभ पहुँचना सुनिश्चित हो। यह भी हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है।
मुख्यमंत्री ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की कार्य प्रक्रिया में सुधार लाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि यह इसलिए जरूरी है क्योंकि आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई परिवर्तन हुए हैं, जरुरतें बढ़ी हैं। उसके अनुरुप अगर कार्य प्रक्रिया में हमने बदलाव नहीं किया, तो हमें इसके बेहतर परिणाम प्राप्त नहीं हो सकेंगे।
श्री कमल नाथ ने कहा कि यह कॉन्क्लेव इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि इसमें जो लोग शिरकत कर रहे हैं, उनके पास ज्ञान का भंडार है, कौशल है और अनुभव है। मेरी अपेक्षा है कि कॉन्क्लेव में होने वाले मंथन से निकले निष्कर्ष मध्यप्रदेश की जनता को स्वास्थ्य का अधिकार दिला सकें और हम एक स्वस्थ्य मध्यप्रदेश का निर्माण कर सकें। श्री कमल नाथ ने कहा कि आज मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस है। हम दस साल बाद जब मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस मनाएं, तो इस सम्मेलन के निष्कर्षों के आधार पर जो स्वास्थ्य व्यवस्थाएँ मध्यप्रदेश में बनें, वो मील का पत्थर साबित हो और पूरे देश का आदर्श मॉडल बन सके।
स्वास्थ्य का अधिकार कानून में 97 प्रतिशत बीमारियाँ कवर करने का प्रयास
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री तुलसी सिलावट ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ मध्यप्रदेश में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा हैं कि प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलें और ये उनके अधिकार में भी जुड़ें। श्री सिलावट ने कहा कि हमारा प्रयास है कि स्वास्थ्य का अधिकार कानून में 97 प्रतिशत बीमारियों को कवर करें। उन्होंने कहा कि इसके जरिए हम प्रदेश के लोगों को वही सुविधाएँ उपलब्ध करवा पाएंगे, जो मुख्यमंत्री, मंत्री या उच्च वर्गों को सुलभ हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश का नेतृत्व करेगा मध्यप्रदेश
नीति आयोग के सलाहकार डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने स्वास्थ्य का अधिकार देने के लिए जो कदम उठाया है, वह न केवल एक साहसिक निर्णय है बल्कि इसके माध्यम से मध्यप्रदेश स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश का नेतृत्व भी करेगा। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी। श्री पॉल ने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति और प्रतिबद्धता के बगैर हम लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार नहीं दिला सकते। उन्होंने इसके लिए अधोसंरचना, उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं का बेहतर उपयोग और बजट की पर्याप्त उपलब्धता को जरूरी बताया। डॉ. पॉल ने कहा कि हमें एक सुनियोजित रणनीति और सु-स्पष्ट सोच के साथ इस दिशा में कदम उठाने होंगे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए शक्ति योजना-2025, टी.बी. मुक्त मध्यप्रदेश और उपशामक (पेलियेटिव) सेवाओं के लिए प्रकाशित मार्गदर्शिका का विमोचन किया। यू.एन.एड्स की सलाहकार श्रीमती हेलीना एन. कुर्ग, नेशनल हेल्थ एजेंसी की सीईओ डॉ. इन्दु भूषण, अपोलो हॉस्पिटल की सीएमडी श्रीमती संगीता रेड्डी, मेग्सेसे अवार्ड से सम्मानित श्री भारत वतवानी, लेखक एवं अर्थशास्त्री श्री हर्ष मंगल सहित देशभर से आए स्वास्थ्य एवं इससे जुड़ी सेवाओं से जुड़े विशेषज्ञ उपस्थित थे।