शिक्षक समाज सेवक के रूप में काम करें : कमलनाथ

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भोपाल । मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में आज बड़े परिवर्तन हुए है। हमारी शिक्षा बदलाव के साथ जुड़े, शिक्षा और ज्ञान में तालमेल हो, शिक्षक दक्ष हो और वे समाज सेवक के रूप में काम करें यह सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने है। श्री नाथ आज मिंटो हॉल में सांईस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्टस एवं मैथ्स (स्टीम) शिक्षा पद्धति पर आयोजित दो दिवसीय स्टीम कान्क्लेव 2019 का शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री नाथ ने कहा कि जब भी किसी क्षेत्र में बदलाव हुआ है तो उसकी आलोचना हुई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने 21वी सदी के भारत की कल्पना करते हुए कम्प्यूटर क्रांति की शुरूआत की थी तब उसका विरोध यह कहकर किया गया था कि इससे बेरोजगारी बढ़ेगी, यह एक बेकार की कोशिश है। आज हम देख रहे है आईटी क्षेत्र में जो क्रांति हुई उससे न केवल बड़ी संख्या में हमारे युवाओं को रोजगार मिला है बल्कि आज पूरे विश्व में हमारे देश के लोग आईटी के क्षेत्र में छाये हुए हैं। श्री नाथ ने कहा कि इसलिए हमें बदलाव के साथ जुड़ना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विश्व में हर क्षेत्र में परिवर्तन हुआ है। शिक्षा भी अछूती नहीं है। परिवर्तन के इस दौर में हमारे शिक्षकों का अपग्रेड होना जरूरी है नहीं तो हम अपनी भावी पीढ़ी को आज के और आने वाले समय के अनुकूल शिक्षित नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा और ज्ञान को जोड़ा जाना बहुत जरूरी है तभी हम अपने बच्चों का सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास कर पाएंगे। उन्होंने मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और उसकी गुणवत्ता में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता प्रतिपादित की। श्री नाथ ने कहा कि हमारे शिक्षकों को आत्मचिंतन करना चाहिए कि वे अपनी भावी पीढ़ी को किस तरह शिक्षित करें जिससे उसका भविष्य बेहतर हो सके। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों का आव्हान किया कि वे अपने दायित्व को सरकारी नौकरी के रूप में बल्कि एक समाज सेवक की भूमिका के रूप में निभाएं। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में अग्रणी राज्य बने। इसके लिए हमें कड़े कदम उठाना पड़े तो उठाएंगे।  
मुख्यमंत्री ने स्टीम शिक्षा पद्धति की सराहना करते हुए कहा कि इससे हम अपने बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास कर पाएंगे। वे रूचि के साथ पढ़ाई करें इससे उनका एक अलग तरीके से विकास होगा और वे आज के बदलाव से जुड़ सकेंगे। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि स्टीम शिक्षा पद्धति विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग, गणित और कला की पढ़ाई को न केवल रूचिकर बनाती है बल्कि इससे हमारे बच्चों का भविष्य की चुनौतियों से निपटने में भी सक्षम करती है। उन्होंने कहा कि की देश में पहली बार मध्यप्रदेश में स्टीम शिक्षा पद्धति पर विचार के लिए दो दिवसीय कॉन्क्लेव हो रहा है जिसमें नवीनतम ग्लोबल अवधारणा पर विषय-विशेषज्ञ मंथन करेंगे। इसे कैसे लागू करें, पाठ्यक्रम में शामिल करें इस पर भी विचार होगा। मुझे विश्वास है कि इस कॉन्क्लेव के निष्कर्ष से हमारी शिक्षा पद्धति को नया आयाम हासिल होगा। डॉ. चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नाथ प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता पर काम कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि हम अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा दे सकें जो उनके भविष्य को उज्जवल बनाएं।
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने स्टीम शिक्षा पद्धति की मूल अवधारणा, उसके महत्व और कॉन्क्लेव के रूपरेखा की जानकारी दी। इस मौके पर मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती, माध्यमिक शिक्षा मंडल की अध्यक्ष श्रीमती सलिना सिंह, स्टीम एजुकेशन की संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सी.ई.ओ.) सुश्री जार्जट येकमेन, डी ऐंज़ा कॉलेज केलिफोर्निया यू.एस.ए. की बाल विकास एवं शिक्षा विषय की प्रोफेसर सुश्री जयंती तांबे रॉय, स्टोरी ट्राइंगल फाउन्डेशन की संस्थापक सुश्री अर्पणा अत्रैय, शिव नाडर फाउंडेशन के बाल शिक्षा विभाग की प्रमुख सुश्री सुमिता मलिक, शंकर महादेवन अकादमी में पाठ्यक्रम विकास कार्य से जुडे़ संगीतकार कार्तिक रमन और स्टीम रिसर्च लैब की विभागाध्यक्ष सुश्री शहीन शाहीबोले उपस्थित थे।