महाराष्ट्र चुनाव: न नेता दिखे-न नीति, प्रचार में भी पस्त रही कांग्रेस की जारी है दुर्गति

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एक ओर बीजेपी की तरफ से पीएम मोदी और अमित शाह से लेकर नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गज चुनाव प्रचार में उतरे थे. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस में राहुल गांधी के अलावा कोई बड़ा चेहरा पार्टी के लिए वोट मांगते नहीं दिखा.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है. उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 24 अक्टूबर को नतीजों के दिन सामने आएगा. लेकिन नतीजों से पहले आए इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के अनुमानों से साफ है कि कांग्रेस को सूबे में करारी शिकस्त झेलनी पड़ सकती है. यहां कांग्रेस-एनसीपी साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. इस गठबंधन को कुल 288 में से सिर्फ 72-90 सीटें मिलती दिख रही हैं. सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन फिर से वापसी करने जा रहा है जिसे 166-194 सीटें मिलने का अनुमान है.

कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का हाल कुछ वैसा ही रह सकता है. महाराष्ट्र के साथ हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव हुए हैं. दोनों ही राज्यों में बीजेपी के आगे विपक्ष बेसहारा नजर आया. एक तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत से विपक्षी दलों के हौसले पस्त हैं तो दूसरी ओर सरकार की नीतियों के आगे बचा हुआ विपक्ष भी घुटने टेक चुका है. मौजूदा समय में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, नेता और नीति विहीन पार्टी सी दिख रही है.

प्रचार में काफी पिछड़ी कांग्रेस

कांग्रेस को अब भी अपने अध्यक्ष की तलाश है और पार्टी ने फिलहाल सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बना रखा है. वहीं लोकसभा चुनाव की हार के बाद अध्यक्ष पद छोड़ चुके राहुल गांधी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने में काफी पिछड़ गए. दोनों राज्यों में राहुल गांधी ने सिर्फ 7 रैलियां की जबकि केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में 25 रैलियों को संबोधित किया. राहुल गांधी वोटिंग से सप्ताहभर पहले चुनाव प्रचार में उतरे, जहां उन्हें स्थानीय नेताओं का साथ तक नहीं मिला.

एक ओर बीजेपी की तरफ से पीएम मोदी से लेकर अमित शाह, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गज चुनाव प्रचार में उतरे थे वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में राहुल गांधी के अलावा कोई बड़ा चेहरा पार्टी के लिए वोट मांगते नहीं दिखा. आखिरी वक्त में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रस्म अदायगी करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस जरूर की. सोनिया गांधी चुनाव प्रचार से दूर रहीं और उनकी जगह राहुल गांधी को रैली करनी पड़ी. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी दोनों राज्यों में एक भी रैली को संबोधित नहीं किया. वह सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए बीजेपी की नीतियों पर निशाना साधती रहीं और विशेषकर यूपी की योगी सरकार को टारगेट करती रहीं.

महाराष्ट्र में चुनाव से ऐन वक्त पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी बदल दिए गए. संजय निरुपम की जगह मिलिंद देवड़ा भी इस पद से हट गे और बालासाहेब थोराट को नया अध्यक्ष चुना गया. संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा पार्टी हाईकमान पर ही सवाल उठाते रहे और चुनाव प्रचार में भी नहीं उतरे. यहां तक इन नेताओं ने अपने नेता राहुल गांधी के साथ भी मंच साझा नहीं किए. वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कुल 65 चुनावी रैलियां की और वो पीएम मोदी के साथ भी 9 रैलियों में पहुंचे. लेकिन कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के किसी बड़े नेता ने राहुल गांधी के साथ मंच तक साझा नहीं किया.

मुद्दों पर नहीं बनी एकराय

कांग्रेस अपने चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दों पर बीजेपी को घेरती नजर आई. प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी जिन मुद्दों पर जनता से वोट मांग रहे थे उन्हीं राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर कांग्रेस अपने विरोधियों पर निशाना साध रही थी. धारा 370 से लेकर तीन तलाक, एनआरसी जैसे मुद्दों को बीजेपी अपनी उपलब्धि बताती रही जबकि कांग्रेस लगातार इनके विरोध पर अड़ी रही. कई मुद्दें तो ऐसे रहे जिनपर कांग्रेस नेताओं के सुर अलग दिखे. कश्मीर से 370 हटाने का मिलिंद देवड़ा जैसे नेता समर्थन कर चुके हैं जिसे लेकर कांग्रेस लगातार बीजेपी और पीएम मोदी पर निशाना साध रही है.

कांग्रेस महाराष्ट्र चुनाव में पहले की तरह नोटबंदी, जीएसटी और नीरव मोदी जैसे मुद्दे उठाती रही जो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में ही बेअसर साबित हो चुके हैं. इन मुद्दों को पूरे लोकसभा चुनाव में उठाने के बावजूद कांग्रेस सिर्फ 54 सीटों पर सिमट गई और बीजेपी 303 सीटें जीतने में सफल रही थी. बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव में सावरकर को भारत रत्न देने का मुद्दा भी बीच चुनाव में उठा दिया जिसपर कांग्रेस फंसती नजर आई क्योंकि इसे लेकर भी पार्टी का रुख साफ नहीं रहा और नेताओं की ओर से तरह-तरह के बयान सामने आए.

महाराष्ट्र में बगैर चेहरे के लड़ रही कांग्रेस का मुकाबला देवेंद्र फडणवीस के चर्चित चेहरे से रहा. वहीं बीजपी के पास नरेंद्र मोदी के नाम का ट्रंप कार्ड भी है. एग्जिट पोल के अनुमानों में भी इसकी झलक देखने को मिली. ऐसे में अगर ये अनुमान नतीजों से मेल खाते हैं तो कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र में आगे की राह और भी मुश्किल हो सकती है.