बिलासपुर । उर्दू काउंसिल के बैनर के तले शरदोत्सव कवितावली युवा कवि सम्मेलन का आयोजन सीएमडी कॉलेज स्थित स्पोट्र्स काम्प्लेक्स ऑडिटोरियम में हुआ। कार्यक्रम के दौरान विविध विषयों पर जहां कविता का पाठ किया गया वहीं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत एक गर्भस्थ बेटी के दर्द को भी बखूबी ये कहकर बयां किया कि इक मां को बेटी गर्भ से बोली, मुझे पैदा न कर मुझको बहुत डर लग रहा है मां।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पीसीसी महामंत्री अटल श्रीवास्तव, अध्यक्षता गीत कवि एवं डॉ.अजय पाठक एवं विशिष्ट अतिथि पूर्व पार्षद रविन्द्र सिंह एवं विश्वेश ठाकरे रहे। यहां प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बिलासपुर आए कवियों ने माहौल बनाया। सप्र्रथम पेंड्रा से आए युवा ओजकवि आशुतोष आनंद दुबे ने अपनी प्रस्तुति दी। बड़ों से बात करने का सलीका सीख जाओगे, कण-कण में राम है, क्षण-क्षण में राम है, रचना पढ़ी। इसके बाद युवा गीत कवि नितेश पाटकर ने अपने गीतों याद तुम्हारी आ जाती है अनायास, चैन न आए तो मेरे गीत गा लेना, अंतिम गीत जुगनू की जगमग किरणों से रह-रह बात हुई, तारों ने मिलकर गाया शरदचन्द्र की रात हुई की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अनुपपुर के युवा गज़लकार राज तिवारी ने मैं दुआ में हूं परिंदों की रिहाई के लिए, गज़ल तरन्नुम पेश कर लोगों को बाग-बाग कर दिया। इसके बाद कोरबा की कवियित्री संतोषी महंत श्रद्धा ने मंदिरों मस्जिदों के लिए, खून दरिया सा बहने लगाए और सितम देखिए तो जराए आदमी ही खुदा बन गए पढक़र तालियां बटोरी।
डर लग रहा है मां
कार्यक्रम के दौरान भिलाई से आए मयंक शर्मा ने बहुत रोते हुए इक मां को बेटी गर्भ से बोली, मुझे पैदा न कर मुझको बहुत डर लग रहा है मां… जैसे भावविभोर कर देने वाली पंक्तियों से कवि सम्मलेन की रौनक बढ़ा दी। युवा गज़लकार आशीष तन्हा ने अपनी गज़़लों से माहौल को और निखार, उनकी पंक्ति वो ख़त में माशूका के इस तरह मशगुल हो गया था, कि पर्ची मां के दवा की कहीं पे रख भूल गया था। कवि सम्मलेन के संचालक शायर श्रीकुमार पाण्डेय ने गज़ल पढक़र समा बांधा कि इश्क में जो नाकामयाब मिलता है, किताबों में उसी के सूखा गुलाब मिलता है, शायर सुमित शर्मा ने शेर के अशआर पढ़े कि है हौसला तो मुझसे करे रब्त बेजुबान, तलवार से भी तेज कलम बेचता हूं।
छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रस्तुति
कार्यक्रम में अंतिम प्रस्तुति छत्तीसगढ़ी गीतों के सुप्रसिद्ध कवि किशोर तिवारी ने दी। उन्होंने मैं गंगाजल का प्यासा एवं छत्तीसगढ़ी गीत मया बिन जिनगी सुन्ना से कार्यक्रम का समापन किया। द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, केवल कृष्ण पाठक, राजेंद्र मौर्य, राघवेंद्र धर दीवान, डॉ.सुधाकर बिबे, यशवंत गोहिल, अनु चक्रवर्ती, बालमुकुंद श्रीवास, महेश श्रीवास, राजेश कुमार सोनार, योगेश शर्मा, अरुण अवस्थी, मोहन पाटकर सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।