एशिया के सबसे बड़े व 128 साल पुराने नाले की गंदगी से गंगा को मिली मुक्ति

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मंगलवार को भैरो घाट से डायवर्ट किया गया सीवेज जाजमऊ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंच गया। इसके साथ ही नमामि गंगे का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी सफल हो गया है।

गंगा को निर्मल व स्वच्छ बनाने की दिशा में बहुत बड़ी पहल को कामयाबी मिली है। यह बेहद चुनौती भरा कदम था जिसे लेकर जल निगम व नमामि गंगे के इंजीनियर सांसत में थे। पहले इस नाले से 14 करोड़ लीटर सीवेज गंगा में गिराता था मगर इसमें से 8 करोड़ लीटर सीवेज कुछ दूर पहले ही मोड़कर एसटीपी तक भेज दिया गया था। यह अलग बात है कि महज 6 करोड़ लीटर गंदगी गंगा में जाने से रोकने में इंजीनियरों की सांसें फूल गई थीं क्योंकि नाले का वेग किसी नहर के समान ही था। ढलान से पंप करके इसे 9.5 किलोमीटर दूर एसटीपी तक पहुंचाना बेहद मुश्किल कार्य था क्योंकि जेएनएनयूआरएम की दागदार पाइप लाइन के साथ ही रूट पर ब्रिटिश जमाने का डॉट नाला भी है।